सदाबहार के फूल

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सदाबहार के फूल ***यदि सदाबहार ने उसका साथ दिया तो गोद तो उसकी भरेगी ही, घर का आंगन भी किलकारियों की तंरग से भर जायेगा। यह भेद भी केवल वह जानेगी और सदाबहार। इन्हें तो कुछ पता ही नहीं चल सकेगा। रश्मि जब भी ऐसा सोचती तो एक ओर जहां उसका मन तरंगों के स्पन्दन से पुलकित हो जाता वहीं दूसरी तरफ एक अपराथबोध की भावना से भी ग्रसित हो जाता। सोचती, एक विवाहित, दूसरे की धरोहर होते हुये वह क्या करने की सोच बैठी है? एक केवल संतानसुख ही न देने के सिवा रॉवी ने उसे क्या कुछ नहीं दिया