पथरीले कंटीले रास्ते - 22

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पथरीले कंटीले रास्ते    22   इंतजार को कातिल और कयामत किसी ने ऐसे ही नहीं कहा । इंतजार की घङियाँ बङी सुस्त होती हैं । इतना धीरे चलती हैं कि कभी खत्म होने में ही नहीं आती । जिसको किसी का इंतजार करने पङे , वही जानता है कितना तकलीफदेह होता है किसी का इंतजार करना । हर पल लगता है , सांसे रुक जाएंगी । काश इसे पंख मिले होते तो कितनी जल्दी बीत जाता । बग्गा सिंह को वहाँ खङा करके वकील गायब हो गया था । बग्गा सिंह को लग रहा था जैसे से यहाँ आये