साथिया - 119

थोड़ी थोड़ी देर में सब लोग तैयार होकर  हॉल में इकट्ठे हो गए थे। जहां पर ईशान  शालू  अक्षत और सांझ  की हल्दी की रस्म होनी थी। दोनों परिवार और दोनों तरफ के नाते रिश्तेदार सब लोग इस बड़े से  हॉल  में आ गए थे। खूबसूरती से सजाया हुआ यह हाल मेहमानों से पूरी तरीके से भरा हुआ था। हालांकि अक्षत  ईशान अरविंद और अबीर की आर्थिक स्थिति के हिसाब से ये सब उतना मेंहगा नही था क्योंकि अक्षत एक नॉर्मल शादी कम फिजूल खर्ची के साथ करना चाहता था। एक तरफ  ईशान  और अक्षत बैठे और उनकी हल्दी की रस्म शुरू हो