साथिया - 115

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अक्षत ने उसे वापस बिस्तर पर लिटाया और उसके माथे को चूम जैसे ही दूर जाने को हुआ सांझ ने उसका हाथ पकड़ लिया। अक्षत  ने उसकी आंखों में देखा। "प्लीज  जज साहब  मेरे पास ही रहिए ना.!! दूर मत जाइए। बहुत डर लग रहा है मुझे।  पता नहीं अब और क्या होने वाला है..?? इतना सब कुछ हुआ आपसे दूर होते ही। सब कुछ बिखर गया। सब कुछ बर्बाद हो गया। मैं अब आपसे दूर नहीं होना चाहती। प्लीज मुझे खुद से दूर मत कीजिएगा जज साहब.!!" सांझ बार-बार इमोशनल हो रही थी। "बस  दो  मिनट वॉशरूम से आ रहा हूं और