साथिया - 114

सांझ गहरी नींद में थी और अक्षत बस उसके पास बैठा उसे  बस  देख रहा था।"अक्षत भाई डिनर कर लीजिए..!!"" शालू ने रूम में आकर कहा। "मुझे भूख नहीं है  शालू। तुम खाओ और आराम करो। मैं यहीं पर रहूंगा सांझ  के पास।" अक्षत ने कहा तो  शालू  ने एक नजर सोई हुई  सांझ को देखा और फिर बाहर चली गई। अक्षत के  रहते हैं उसे सांझ  की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी। वैसे भी आज के समय में  सांझ  के सबसे करीबी कोई था तो वह अक्षत  था और सबसे ज्यादा गहरा रिश्ता उन्ही  दोनों का था। दोनों का ही एक दूसरे