शालू चाय और नाश्ता लेकर ईशान के कमरे के बाहर पहुंच गई पर उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी अंदर जाने की। उसने गहरी सांस ली भगवान को याद किया और धीरे से दरवाजा नोक किया। "आ जाओ!" अंदर से आवाज आई तो शालू ने दरवाजा खोला और धीमे से अंदर चली गई। ईशान बालकनी में खड़ा हुआ था और किसी से फोन पर बात कर रहा था। उसे नहीं पता था कि नाश्ता और चाय लेकर सर्वेंट नहीं बल्कि शालू आई है। शालू ने ईशान को देखा और फिर वापस नहीं गई और वहीं खड़ी रही। ईशान ने पलट कर देखा और जैसे