साथिया - 104

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माही और शालू चतुर्वेदी निवास मे मनु की शादी तक रुक गई थी। शालू हालांकि  कंफर्टेबल नहीं थी पर  माही  की खुशी के खातिर वह रुक गई। वह नहीं चाहती थी कि जिस तरीके से उसका और  ईशान का रिश्ता बिखर गया है। माही और अक्षत के रिश्ते में किसी भी तरीके की प्रॉब्लम हो। वह दिल से चाहती थी कि माही अक्षत के साथ कंफर्टेबल हो जाए और दोनों खुशी-खुशी रहे। माही और शालू अपने रूम में थी। शालू खिड़की पर खड़ी  बाहर खिड़की से देख रही थी और माही उसे देख रही थी। "क्या हुआ शालू दीदी आप खुश नहीं हो क्या