साथिया - 96

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अक्षत ने पलटकर देखा तो  दरवाजे पर माही खड़ी थी। अक्षत अपने आंसू छिपाकर मुस्कराया और फिर वापस विंडो की तरफ देखने लगा। पर माही उसकी दर्द मे डूबी आँखे देख चुकी थी।माही उसके पास आकर खड़ी हो गई। " सॉरी..!! सॉरी जज साहब..!" माही की धीमी  सी आवाज अक्षत  के कानों मे पड़ी। " सॉरी..?? फॉर व्हाट??" " मैने आपको गलत समझा, गलत बोला और आपको हर्ट किया..!" अक्षत ने बिना उसकी तरफ देखे अपनी हथेली उसके सामने की। माही ने एक पल को उसकी हथेली देखी और फिर अपना हाथ  उसके उपर रख दिया। " अक्षत ने अपनी चौङी हथेली मे उसका नाजुक हाथ थाम लिया। "जानता