साथिया - 95

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"आओ मेरे साथ हम बैठकर बात करते है।" अबीर ने माही से कहा और सोफे पर जाने लगे  तो माही के कदम  रुक गए। " रूम में चले पापा..!!मुझे आपसे अकेले में बात करनी है...!"'माही ने कहा और अक्षत की तरफ देखा और फिर अबीर के साथ उसके कमरे में चली गई। अक्षत का दिल एक बार फिर से बैठ गया यह सोचकर कि ना जाने अब  अबीर   सांझ को क्या कहेंगे??  इस बार अक्षत की हिम्मत नहीं थी सांझ को  दोबारा  खोने की और इसके अलावा उसके पास कोई उपाय भी नहीं था। उसने मालिनी की तरफ देखा तो उन्होंने  पलके