जिसे सुन राघव चिल्लते हुए ,,,, नहीं नहीं विराज तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे ,,,,,इस सब में मेरी बेटी का क्या कसूर है ,,,,,वह तो बेकासुर है,,,, तो उस समय,,,,,मेरी बुआ का क्या कसूर था,,,,,,जिसके साथ तूने दरिदगी की थी ,,,,,उस समय मेरी मां का क्या कसूर था,,,,,जिसे तूने अपने हाथों से मारा था,,,,,उस समय मेरे डैड का क्या कसूर था,,, जो तूने कुछ पैसों के लिए ,,,,मेरे डैड को मारा था,,,,,,क्या मिला तुझे मेरा घर तबाह करके,,,, जिसे सुन राघव, देख,,,,इस समय में,,,,मेरी गलती है,,,,,तो तुम मुझे मुझे,,,जो मर्जी सजा दे,,,,,,,पर मेरी बेटी को बीच में मत ला,,,,यह कहते हुए