बैरी पिया.... - 34

विला में शिविका का दम घुटने लगा तो वो जोरों से चिल्ला दी और उसकी चीख विला में गूंजने लगी । शिविका अपने घुटनों को समेटे दीवार से पीठ टिकाकर बैठ गई । उसका रोना अब सिसकियों में बदल चुका था । उसकी आंखें लाल पड़ चुकी थी पर अभी भी उनसे आंसुओं की बूंदें बहे जा रही थी । ।शिविका ने अपनी हथेलियों से अपनी गाल से बहते आंसू को साफ किया और हिम्मत करके खड़ी हो गई ।फिर गैलरी से जुड़े चारों दरवाजों को देखने लगी । । एक-एक करके शिविका चारों दरवाजों के पास गई । ।