द्वारावती - 48

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48पंद्रह दिन व्यतीत हो गए। घर से कोई बाहर नहीं गया। जब एक नए प्रभात ने अवनी पर प्रवेश किया तो गुल के पिता काम करने हेतु घर से जाने लगे। गुल की मां ने उसे रोका,“आप अभी भी कहीं नहीं जाएंगे।”“किन्तु इस तरह यदि मैं काम पर नहीं गया तो घर कैसे चलेगा?”“घर की चिंता न करो। अभी भी पंद्रह बीस दिनों तक चल सके इतना घर में सब कुछ है।”“पंद्रह बीस दिनों के पश्चात क्या होगा? तब तो घर से निकलना होगा ना?”“तब की बात तब सोचेंगे।”“मृत्यु का भय तब भी बना ही रहेगा।”“हमें आज की ही चिंता