मेला

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मेला  ‘'अम्मा जी। अम्मा जी।' ‘'क्या बात हो गई है बेटा? क्यों इतने ज़ोर से बार-बार पुकार रहा है?' माँ घबरा कर भागती हुई गली में निकल आई और बोली। ‘'अम्मा जी! मैं भी मेला देखने के लिए जाऊँगा। हमारी गली के सभी लड़के और लड़कियाँ आज मेला देखने के लिए जा रहे हैं।' ‘'न बेटा न, तू कहीं नहीं जाएगा।' ‘'क्यों अम्मा जी,  मैं क्यों नहीं जाऊँगा?' ‘'देख एक तो तू अभी छोटा है। ऐसी भीड़-भाड़ वाली जगह जाकर कुछ भी हो सकता है। दूसरे आज तेरे पिता जी भी घर पर नहीं है। पीछे से उन्हें पता चलेगा