कहते हुए इशांक ने गुस्से से अपने दांत पीसे और कनिषा के होंठो से अलग उसके गले पर अपनी गर्म सांसों को छोड़ते हुए अपने शर्ट के ऊपरी बटन को खोला और टाई निकल कर बेड पर ही एक और फेंक दिया,जिसके साथ उसने कहना जारी रखा......."मेरा कोई कुछ नही बिगड़ सकता,मिसेज देवसिंह....!"इशांक की सांसे खुद के गले पर दौड़ती हुई महसूस हुई तो कनिषा का दिल अंदर तक कांप गया,उसके हाथ पांव बर्फ से भी ज्यादा ठंडे और असामान्य रूप से बेजान होने लगे थे,हिलने में भी बेबस, जब वो कुछ ना कर सकी तो आंसुओ ने उसके आंखो