दिल से दिल तक एक तरफ़ा सफ़र - 5

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  यह महज़ चंद लफ्ज़ नहीं,दिल से दिल की बात है,कुछ में लिखू जो तुम्हे छू जाये,यह तो बस शुरुआत है। हम 1 जुलाई को ही हॉस्पिटा जा के आये थे। फिर तो मेरे exams स्टार्ट होने वाले थे और में अपनी तैयारी में लग गयी। इन् दिनों ऑफिस में भी बहुत ही काम रहता और exams आने वाले थे तो उसकी भी तैयारी , इसलिए मुझे टाइम ही नहीं मिलता था की में डॉक्टर साहब को सोशल मीडिया पे भी देखु। लेकिन उनको हर रोज़ याद करना तो compulsory था। फिर आया मेरे exams का पहले दिन और एक