रूपनगढ़ के रावले मे अचानक शांति छा गई। दासियों की पायल की आवाज अचानक थम गई।राजमहल मे बैठी रानीयों के मुँह उतर गए।श्री नाथजी के मंदिर मे पूजा करते हुए राजा जी के हाथ मे बादशाह औरंगजेब का पत्र दिया, पत्र पढ़ते ही राजा जी के पाव तले जमीन खिसक गई।पत्र नहीं था जहर का प्याला था जिसकी एक घूंट भी गले से नीचे नहीं उतर रही थी।राजकुमारी चारुमती की शादी आलमगीर के साथ करने का पैगाम था।ये खबर पुरे रुपनगढ़ मे फैल गई सारे मर्दो ने गुस्से से मुट्ठी बंद करदी और उनके सामने काल की तस्वीर