में और मेरे अहसास - 109

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सुहाना नशीला मौसम दिल को बहका रहा हैं l रंगबेरंगी फ़ूलोंका गुलदस्ता मन बहला रहा हैं ll   लाखों आरजूएँ पल रहीं हैं सदियों से आज l जिगर में तमन्नाओं का चमन महका रहा हैं ll   मुख्तसर सी बात है हमदर्द के प्यारे हाथों से l जरा सा छूने लेने से अंग अंग दहका रहा हैं ll   संवर कर रहते हैं बेपन्हा बेइंतिहा प्यार में l जुदाई की बातों से आज क्यूँ तड़पा रहा हैं?   कुछ ज्यादा ही एहमियत दे दी है इश्क़ को l एक नज़र देखने को ज़ालिम तरसा रहा हैं ll १६-८-२०२४    पावस