सन्यासी -- भाग - 30

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जयन्त उस वक्त तो वहाँ से चला गया लेकिन उसके मन में कुछ और ही चल रहा था,वो सुहासिनी की जिन्दगी ऐसे बरबाद नहीं होने दे सकता था,उसके मन में जो चल रहा था,उसके लिए वो योजना बना रहा था और फिर वो अपनी योजना को सफल बनाने के प्रयास में जुट गया....     और इसके लिए वो डाक्टर अरुण की क्लीनिक पहुँचा उनसे मिलने के लिए,जयन्त को अपने सामने खड़ा देखकर डाक्टर अरुण एक पल को घबरा गए,तब जयन्त ने उनके घबराए हुए चेहरे को देखकर उनसे कहा...."घबराए नहीं डाक्टर साहब! मैं आपकी क्लास लेने नहीं आया हूँ,मैं तो बस