प्रकरण - ३९जब मेरे पापा का फोन आया तभी मैंने तय कर लिया था कि मैं आज अभिजीत जोशी की अपने पापा से बात करवाऊंगा। मैंने अपने पापा का फोन उठाया और हैलो कहा। दूसरी ओर से मेरे पापाने कहा, "रोशन! बेटा! तुम मुंबई शांति से पहुँच गए न? रास्ते में तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं हुई? तुम पहली बार इस तरह अकेले गए थे, इसलिए तुम्हारी चिंता हो रही थी।"अब मैं अंधेपन के बावजूद भी इतना सक्षम हो गया था कि मुझे अब किसी की जरूरत नहीं पड़ती थी। अब मुझे किसी पर भी निर्भर नहीं रहना पड़ता था।