भगवान्‌ के चौबीस अवतारों की कथा - 10

  • 2.5k
  • 921

श्रीपृथुजीके अवतारकी कथा—महाराज ‘अङ्ग’ की पत्नी सुनीथा, जो साक्षात् मृत्युकी कन्या थीं, उससे ‘वेन’ नामक पुत्र हुआ, जो अपने नाना मृत्युके स्वभावका अनुसरण करनेके कारण अत्यन्त क्रूरकर्म करनेवाला हुआ। फलस्वरूप उसकी दुष्टतासे उद्विग्न होकर राजर्षि अंग नगर छोड़कर चले गये। राजाके अभावमें राज्यमें अराजकता न फैल जाय, इसलिये ऋषियोंने और कोई उपाय न देखकर वेनको अयोग्य होनेपर भी राजपदपर अभिषिक्त कर दिया। स्वभावसे क्रूर, ऐश्वर्य पाकर अत्यन्त उन्मत्त, विवेकशून्य वेन जब धर्म एवं धर्मात्मा पुरुषोंको विनष्ट करनेपर तुल गया और ऋषियोंके समझानेपर भी समझना तो दूर रहा, उल्टे उनकी अवहेलना की, तब क्षुब्ध ऋषियोंने क्रोध करके हुँकारमात्रसे वेनको मार डाला।