हॉंटेल होन्टेड - भाग - 67

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तेज चलनेवाले गिले रास्तों से गुजरते हुए मैने अपनी कार मेरे घर के सामने आकर रोक दी,बारिश इतनी तेज थी के सामने देखना मुश्किल था,पूरा शहर इस वक्त बारिश के फुहार में भीगा हुआ था,मैं गाड़ी से बाहर निकाला और गेट के सामने आकर खड़ा हो गया।मैंने बैल बजाई तो थोड़ी देर के बाद रमण ने आकर गेट खोला,मुझे इतनी रात को पूरे भीगे हुए कपड़ों में देखकर वो हैरान रह गया, अभी वो आगे कुछ बोलता उससे पहले मैं तेज कदमों से चलते हुए सीधा अंदर घुस गया,घर के हॉल मैं पहुंचा तो दिल को जंजोडकर रख देने वाली