हीर... - 18

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कमरे का फर्श साफ़ करने के बाद राजीव तो नहाने के लिये चला गया था लेकिन चारू... चारू अभी भी अपनी जगह पर हाथ बांधे खड़ी..आंसुओ से भरी अपनी लाल हो चुकी आंखों से बाथरूम के गेट की ही तरफ़ देखे जा रही थी और लगातार सुबकियां लेती जा रही थी!!इस तरीके से खड़े होकर बाथरूम की तरफ़ देखते हुये चारू को राजीव की आज की हालत देखने के बाद वो दिन याद आने लगा था जब----=="तुम हो राजीव!! तुमने मुझे पहचाना?? मैं तुम्हारी खिचड़ी आंटी.. याद आया??" चारू की मम्मी ने राजीव से कहा...राजीव ने भी खुश होते हुये