प्रेमी-आत्मा मरीचिका - 10

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उसने खुद स्वीकार किया था, अपनी दिल दहला देने वाली दास्तान सुनाई थी, मोहब्बत के वादे इरादे किए थे फिर यह कस्तूरी कहां से आ गई। अब आगे ............प्रेमी आत्मा मरीचिका - भाग १०  "लानत हो मेरे मुकद्दर पर!" सरदार तेम्बू जुनून में अपना मुंह पीटता हुआ बोला था -"तूने मेरी लड़की की आबरू को दागदार किया है। मगर मैं खुद तुझ पर हाथ नहीं उठा सकता।" तेम्बू के इन शब्दों ने सुभ्रत को वस्तुस्थिति का अहसास दिला दिया। वर्ना वो तो घबराहट में कस्तूरी के साथ किसी भी शारीरिक सम्बन्ध से इंकार करने वाला था। यहां के रिवाज के अनुसार नागोनी में अगर कोई