"अब मैं बस्ती में जाकर चीख-चीखकर लोगों सें बताऊंगा कि हरेन ने तुम्हें कैद कर रखा है।' सुभ्रत जोशीले लहजे में बोला था - "हरेन का तिलिस्म टूटकर रहेगा और मैं तुम्हें अपनी जीवन साथी बना लूंगा।" अब आगे.....प्रेमी आत्मा मरीचिका - भाग ०९ "नहीं... नहीं...सुभ्रत ऐसा न करना ।" वो अचानक बौखला गई थी। "तुम्हीं ने बताया था न...?" सुभ्रत विजयी दम्भ से बोला- "जिस दिन नागोनी के हर वासी को मालूम हो गया कि हरेन ने तुम्हें कैद कर रखा है, तो तुम्हें इस कैद से छुटकारा मिल जाएगा।" "हां। यह सच है।" बो सुभ्रत के गले मैं बाहें डालते हुए बोली-