अचानक सुभ्रत के दिमाग में धमाका हुआ। उसके इस सवाल ने सुभ्रत को अंधे बूढ़े और रहस्यम हरेन की याद दिला दी वो जिसने मधुलिका की खातिर उसे सजा दी थी और जिसके खण्डहर के दायरे में सुभ्रत इस वक्त भी मौजूद था। अब आगे - प्रेमी आत्मा मरीचिका - भाग ०८ "सूरज निकलने से पहले हरेन मेरे घर पर आया था।" सुभ्रत की आवाज अचानक लरजने लगी थी - "उसे तुम्हारी तलाश थी। रात तुम मेरे ख्वाब में आई थीं और हरेन ने मुझे उसकी कड़ी सजा दे डाली थी।' "हरेन...।" वो मुठ्ठियाँ भींचकर नफरत से बोली। फिर उसकी नजरें सुभ्रत के