2 महीने से भी ऊपर का समय बीत चुका था।नारायण जी के हाल पूछे जाने अनुसार सिद्धार्थ किसी भी बात में रुचि नहीं दिखाता।लेकिन मेडिटेशन, उसमे अलग बात थी।सिद्धार्थ का झुकाव अध्यात्म और उससे जुड़े बातों में ज्यादा था।बहुत बार सिद्धार्थ को आध्यात्म सेशन अटेंड करते हुए पाया गया था।मन लगाकर वह सब सुनता और इतना ही नहीं उसे आत्मसात करने की भी कोशिश करता।उसकी हालत इस बात से ठीक नहीं होती लेकिन अब वह थोड़ा नॉर्मल दिखने लगा था।सिद्धार्थ धीरे-धीरे डायरी लिखने लगा था।जो चक्रव्यूह, आंखें उसने बनाई थी वह धीरे-धीरे शब्दों का जाल बुनने लगी थी।लेकिन उस में