अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 47

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हंसी खुशी के माहौल मे सब लोग ड्राइंगरूम मे बैठे मैत्री के हाथ की बनी स्वादिष्ट खीर खा ही रहे थे कि तभी जतिन के फोन पर किसी का फोन आया... जतिन ने बगल मे ही रखे अपने फोन को पलट के देखा तो पाया कि फोन मैत्री के पापा और उसके ससुर जगदीश प्रसाद का है... "बाउ जी का कॉल है" कहते हुये जतिन ने मैत्री की तरफ देखा और फोन रिसीव करके बोला- नमस्ते बाउ जी....जगदीश प्रसाद ने कहा- नमस्ते जतिन बेटा, क्या हालचाल हैं वहां सबके...? जतिन ने बड़ी ही सौम्यता से जवाब दिया- यहां सब ठीक हैं