अब आगे,अर्जुन को अपने कमरे की तरफ जाता देख कर, अब समीर भी अपने कमरे की तरफ बढ़ जाता है और वहा से अपना कोट उठाते हुए एक गहरी सांस लेते हुए अपने आप से कहता है, " पता नही अर्जुन तुम कब समझोगे कि ये सब तुम जो आराध्या के साथ कर रहे हो वो सब कुछ गलत है और पता नही तुम्हारे इस जुनून के चलते उस मासूम सी आराध्या को क्या क्या सहना पड़ेगा...!" अपनी बात कह कर अब समीर भी अपने कमरे को लॉक कर के बाहर आ जाता है और फिर शेखावत विला से बाहर निकल जाता