अब आगे,रूही के पिता अमर के चले जाने के बाद, वही रूही की दोस्त खुशी उस से कहती हैं, "क्या यार तू तो मुझे भूल ही गई और तो और मेरे बर्थडे पर कॉलेज भी नही आई और यू मुझे अनदेखा करने का क्या मतलब है, यार तू न मेरा फोन उठा रही थी और न ही कॉलेज आ रही थी, वो तो मै तेरे घर नही आ पाई क्युकी तूने ही माना करा हुआ है नही तो, मुझे आने मे कोई परेशानी नही है...!" अपनी दोस्त खुशी की बात सुन कर, रूही को खुशी के बर्थडे वाले दिन की सारी बाते