स्वयंवधू - 14

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उस दिन सुबह...सब कुछ सामान्य था। हम उस समय गायब होने और राज द्वारा उसकी कलाई पर छोड़े गए निशानों के से सवालों से बचने में कामयाब रहे।"मैं फिसल गयी और उन्होंने मुझे गिरने से बचाने की कोशिश की और ऐसा ही गया...", उसके इस बहाने पर सब आँख मूंदकर भरोसा कर सकते थे,"तुम बहुत उपद्रवी हो गई हो!", उसके बड़े भाई ने उसे उसके लापरवाह व्यवहार के लिए खूब डांटा।आज सुबह से मेरा सब कुछ बिखरने लगा!हम इस हद तक लड़े कि उसे ठगा हुआ महसूस हुआ, उसने मुझसे बात करने की कोशिश नहीं की। हुआ ये कि, उसने