बारिश से जन्मा यादों का एक खत:

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मेरी कृतिका                                  तुम्हारा तो कुछ पता नही लेकिन फिर भी जहां हो ठीक ही होगी और रही बात मेरी तो मेरा हाल भी ठीक ठाक ही है। रोज ही तुम्हारी याद आती है रोज ही एक मुस्कान के साथ खुद मे उन यादो को फिर से जी लेता हू लेकिन आज, आज तुम्हारी याद रोज से ज्यादा आ रही है आज मुस्कान नही है होंठों पे बल्कि आँखों में एक नमी सी है। दिल कर रहा बस तुमसे लिपट के खूब रोऊँ। खैर, मौसम का मिजाज अचानक