इज़्ज़त के रखवाले शाम का समय था । सूर्य देवता अस्ताचल गमन की तैयारी में थे । दरख्तों की परछाइयाँ लम्बी होने लगी थीं। ऐसे में एक साइकिल सवार चन्दनपुर जाने वाली पगडंडी पर साइकिल दौड़ाए चला जा रहा था। शायद वह अंधेरा होने से पहले ही चन्दनपुर पहुँच जाना चाहता था। वह साइकिल सवार कोई और नहीं चन्दनपुर गाँव का ग्राम पंचायत सैक्रेटरी राजाराम था। राजाराम ब्लाक से लौट रहा था। उसके हल्के में चन्दनपुर के अलावा पाँच-छः गाँव और आते थे। राजाराम बड़ा चलू पुर्जा था। अपनी छः-सात साल की नौकरी में ही उसने लाखों रुपया पैदा