रावी की लहरें - भाग 15

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ऐश्वर्य की लालसा   पहाड़ों की सुरमई वादियों की गोद में दूर-दूर तक फैले हरे-हरे चाय के बागानों को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो किसी ने जमीन पर दूर-दूर तक हरी चादर बिछा दी हो। बागानों के बीचो-बीच बना था मेजर रमनदीप का खूबसूरत और भव्य मकान। मेजर रमनदीप अब अपने पैरों पर नहीं चल पाए थे। एक एक्सीडेंट में उनका पैर खराब हो चुका था इसलिए वह व्हील चेयर का सहारा लेते थे और घर की बालकोनी से ही अपने चाय के बागानों को देखा करते थे।  उनके बागानों में दर्जनों स्त्री-पुरुष काम किया करते थे। उस