हाशिए पर के लोग ठाकुर रिपुदमन सिंह बेचैनी से अपनी चौपाल पर टहल रहे थे। उनके चेहरे पर चिंता और झुंझलाहट के भाव थे । पुश्तों से रमनगला के लोग उनके खेतों पर मजदूरी करते चले आ रहे थे। जो ठाकुर साहब ने दे दिया वह रख लिया, कभी उफ्फ तक नहीं की। मगर पिछले चुनावों से हवा का रुख बदल गया था। आज तक जितने भी चुनाव हुए थे रमनगला के लोगों ने आँख मूँद कर उसी कन्डीडेट का समर्थन किया जिसके लिए रिपुदमन सिंह ने हुक्म कर दिया। मगर इस चुनाव में रिपुदमन के लाख डराने-धमकाने के