एक कातिल और श्रापित तो दूसरी कुदरत के तोहफे से नवाज़ी गई! लेकिन असल श्रापित कौन?....वो जिसे श्राप मिला या फिर वो जिसे कुदरत ने तोहफा दिया?बदनामी में एक गुमनाम ज़िंदगी और मासूमियत में एक बागी। कैसी होगी इनकी जोड़ी जानते हैं इन्हीं की ज़ुबानी। मैं लूसी.....कभी कभी किसी की तुक्के में कही गई बात सच हो जाती है। जब मैं छोटी थी तब मेरे घर पर एक भीख मांगने वाली बूढ़ी औरत आई थी मैं उन्हे भीख देंगे दौड़ी क्यों के मैं और मेरा भाई खेल छोड़ कर भीख देने जाने के लिए तैयार नहीं थे इस लिए मेरी मां ने