साथी - भाग 10

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पहले वाले ने अब भी जब कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तब दूसरे वाले को यकीन हो गया कि पहले वाला भी शायद यहीं चाहता है कि वह इस घर से चला जाए... अभी दूसरे वाले ने बाहर जाने वाला दरवाजा खोला ही था कि पीछे से आवाज़ आयी तुम्ही सारी ज़िन्दगी, सारे फैसले करते रहो गे क्या...? मेरी सहमति या असहमति तुम्हारे लिए कभी कोई मायने नहीं रखती भी है या नहीं ...! शायद नहीं इसलिए तुम मुझसे बातें छिपते हो, मुझे कभी खुल कर अपना कोई सच नहीं बताते. मेरी तुम्हारे जीवन में कोई अहमियत ही नहीं है ...?