मोहिनी ( प्यास डायन की ) - 3

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जय श्री कृष्णा ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने,प्रणतः क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नमः।तारा का कमरा तीनों उदास हो कर बैठे थे।तीनो को देख कर ही समझा जा सकता था की वो सब कितनी उदास है।तारा( मायूसी से ) " इसे कहते है, निवाला मूंह तक तो आया पर पेट में नही गया, सारी मेहनत बरबाद हो गई "वैशाली " अब  क्या करे ? ऐसे तो नही बैठ सकते कुछ तो सोचो क्या करे "चंद्रा "अब करना क्या है, अब हमे पहले वो सारी चीजें सीखनी होगी जो उस मणि के रहस्य को खोलने में सहायक हो, इसके लिए पहले हमे एक गुरु की तलाश