पथरीले कंटीले रास्ते - 20

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  पथरीले कंटीले रास्ते    20     रविंद्र का दुनिया में आना बङी धूमधाम से मनाया गया था । बेबे ने आँगन में सुमंगला औरतों को बुलाकर सोहर और घोङियाँ पूरे इक्कीस दिन गँवाई थी । सबको हर रोज पाँच बङे पतासे दिये जाते । लोग बधाई देते तो दो लड्डू खाने को मिलते । सब मिठाई खाकर दुआएँ देते हुए विदा होते । खुसरों ने नाच नाच कर आँगन में धूल उङा दी थी । इतने वारने हुए थे कि ले रब का नाम । चमेली ने अपने आँचल में उसे लेकर जब लोरी गाई तो बापू जी