गीतकार इंदीवर ने फिल्म “मैं चुप रहूँगी” के अपने एक लोकप्रिय गीत में लिखा है –“ सबके रहते लगता है जैसे कोई नहीं है मेरा , सूरज को छूने निकला था आया हाथ अंधेरा | जाने कहाँ ले चली है मुझको समय की धारा,रास्ता ही रास्ता है आगे न मंजिल है न किनारा | “ मैनें अपनी उम्र के लगभग हर मोड़ पर अपने जीवन को ऐसी ही समय की धारा में बहते हुए पाया है |मानो ज़िंदगी “आटो मोड” पर बही चली जा रही हो |