अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 42

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सारी रस्मे पूरी होने के बाद जतिन, उसके परिवार और बाकि के मेहमानो को चाय और नाश्ता करवाया गया... चाय नाश्ता करने के बाद बारी आयी उस रस्म की जिसने पिछले दो तीन दिनो से मैत्री और उसके परिवार वालो खासतौर पर उसके पापा जगदीश प्रसाद और मम्मी सरोज को बेहद भावुक किया हुआ था... मैत्री की एक बार फिर से विदाई होने वाली थी.... मन पर पत्थर रखकर जगदीश प्रसाद ने अपने आंसुओ को जैसे तैसे अपनी आंखो मे रोका तो हुआ था लेकिन रात से ही बार बार मैत्री के दूर जाने के खयाल से वो सबसे छुप