उजाले की ओर –संस्मरण

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=================== नमस्कार मित्रों आशा है आप सब स्वस्थ व आनंदपूर्वक हैं | रीना मेरी बहुत प्यारी सहेली थी, मैं बात कर रही हूँ आज से बहुत वर्ष पहले की,जब हम कॉलेज में साथ पढ़ा करते थे | वह हर चीज़ में बहुत होशियार थी | कुछ ईश्वर ने भी उसे खूब सुंदर बनाया था जिसका उसे गुमान भी था |अक्सर सुंदरता व बुद्धिमत्ता का गुमान हो ही जाता है लोगों को | मेरे साथ उसकी ऐसी कोई बात नहीं थी कि वह मुझसे अकड़कर बात करती हो या मुझसे दूर भागती हो | आखिर हम बचपन से साथ थे,स्वाभाविक था