फत्तू हलवाई बसंतपुर दूर-दराज के ग्रामीण इलाके में स्थित एक छोटा सा क़स्बा था। कहने को तो यह नाम वसंत-ऋतु का पर्याय हो सकता है, परंतु वास्तव में फसल के समय को छोड़कर वर्ष भर यहाँ पतझड़ ही रहता था। बाज़ार के नाम पर छोटी-बड़ी कुल मिलाकर दो दर्जन दुकानें थीं। गणेशी लाला, फत्तू हलवाई और रोडू नाई पूरे कस्बे में बहुत प्रसिद्ध थे। एक बार जो भी उनकी दुकानों पर आकर बैठता था, वह बातों में इतना डूब जाता था कि उसे वहां से उठने का ख्याल तक नहीं आता था। बाजार के उत्तर में और कुछ दूरी