सावन का फोड़ - 18

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कोशिकीपुर के बच्चे पूरे दिन जोहरा को पागल समझ कर परेशान करते जोहरा भी पागल का किरदार निभाते ऊब चुकी थी कभी वह सोचती कहाँ फंस गए जहां अगले लम्हे का पता नही क्या हो जाए ? जोहरा सोच ही रही थी कि गांव वाले  बच्चे बूढ़े महिलाएं एक साथ जोहरा को गांव से खदेड़ने कि नियत से बरगद के नीचे पहुंचे सोच में डूबी जोहरा को गांव से बाहर खदेड़ने कि नियत से इकट्ठा हुए लोंगों के हाथों में लाठी डंडे आदि थे जब जोहरा ने गांव के लोंगो को एक साथ इतनी भीड़ में देखा तो वह घबरा गई