नक़ल या अक्ल - 45

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45 ख़ुदख़ुशी   आधी रात का समय है, पूरे गॉंव में सन्नाटे की चादर पसरी हुई है। सिर्फ कुछ कुत्तों के भोंकने की आवाज़ आ रही है। आसमान बादलों से घिरा हुआ है। चाँद भी बादलों की ओट में छिप चुका है। छत  पर सोते बिरजू को नशे की पुड़िया न मिलने की वजह से परेशानी हो रही है। कई देर तक बेचैनी से वह करवट बदलता रहा, फिर उससे रहा नहीं गया तो उसने जग्गी को फ़ोन घुमाया, पहले तो काफी देर तक घंटी बजती रही, फिर जब वो फ़ोन काटने लगा तो जग्गी ने फ़ोन उठा लिया। जग्गी