द्वारावती - 43

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43“केशव तुम स्वयं को सिध्ध कर देना। मेरी शुभकामना।” मंत्रगान प्रतियोगिता से पूर्व गुल ने केशव का उत्साह वर्धन किया। केशव केवल स्मित देकर चला गया। स्पर्धकों की दीर्घा में अपने आसन पर जाकर बैठ गया। समग्र सभा मंडप का निरीक्षण करने लगा। साथी प्रतियोगियों पर द्रष्टि डाली। ‘इतने सारे स्पर्धक? दो सौ से अधिक। ढाई दिवस तक चलेगा यह उपक्रम। तीसरे दिवस मध्याह्न के पश्चात विजेताओं के नाम घोषित किए जाएंगे। पुरस्कार दिये जाएंगे। किसी एक को सर्वश्रेष्ठ घोषित किया जाएगा। वह किसी मिथ्याभिमान में स्वयं को सबसे उच्च मानने लगेगा। उसकी ख्याति देस देसांतर में प्रसर जाएगी। इस प्रसंग के साक्षी