द्वारावती - 42

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42“केशव, चलो इस समुद्र तट पर दूर तक जाते हैं। मार्ग में अनेक कंदरायेँ आएगी। प्रत्येक कन्दरा के भीतर जाएँगे।”केशव उठा। गुल चलने लगी। केशव ने पुकारा, “गुल, रुको तो।”गुल रुक गई। “तुम्हें विदित है कि यह तट कितना लंबा है? हमें कहाँ तक जाना है? कौन से बिन्दु से लौट आना है? इस विषय में कोई विचार भी किया है अथवा बस ... ।”गुल रुक गई। कुछ क्षण विचार मग्न मौन के पश्चात बोली,“मुझे संज्ञान नहीं कि यह समुद्र तट कितना लंबा है। यह भी विचार नहीं किया कि कहाँ तक जाना है। किस बिन्दु से लौट आना है। अरे