सावन का फोड़ - 13

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अद्याप्रसाद रजवंत मुन्नका एव सुभाषिनी लाडली बेटी जो मात्र चार वर्ष कि ही थी एव बीमार मृत्यु कि प्रतीक्षा कर रही शामली को साथ लेकर कलकत्ता रवाना हुए ।कलकत्ता पहुँचने के बाद शामली कि चिकित्सा कर रहे चिकित्सको द्वारा बताए गए मशहूर चिकित्सक डॉ शेखर मित्रा के हॉस्पिटल पहुंचे वहाँ डॉ शेखर मित्रा ने बिना बिलंब किए शामली को अपनी ही देख रेख में भर्ती कर लिया और चिकित्सा शुरू की सुभाषिनी माँ के पास या मुन्नका चाची के पास ही रहती ।कटियार के सरकारी अस्पताल से डिस्चार्ज किए जाने के बाद कर्मा कटियार में रुक कर इलाज कराना नही