सावन का फोड़ - 6

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बोर्नस्थान बागमती कोशी संगम के पास से कुछ सन्त प्रवृति के लोग गुजर रहे थे उन्होंने जो दृश्य देखा न भूतों न भविष्यति एक भैंस कि पीठ पर बालक पेट के बल लेटा है और उसके दोनों पैर भैस के दोनों सींगों में फंसे हुए है और भैंस किनारे निकलने की कोशिश करती कुछ बाहर निकलती पुनः वह दलदल में फंस कर गिरती उठती बार बार प्रयास करती . सन्त समाज को लगा जैसे परमात्मा ने उन्हें बालक औऱ भैंस के भाग्य से ही भेजा है सन्त समाज के पास कोई ऐसी व्यवस्था नही थी जिसके सहारे भैस एव बच्चे