अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये अंकिता ने कहा- उस होटल के रेस्टोरेंट के अंदर जाने के बाद चाय पीते हुये पहले तो राजीव वैसी ही नॉर्मल बातें करता रहा जैसे हमेशा करता था लेकिन जब हम ये कहते हुये अपनी जगह से उठे कि "चलो राजीव हम तुम्हें भुवनेश्वर घुमाते हैं!!" तब उसने हमारा हाथ पकड़कर हमें वापस चेयर पर बैठा दिया और बहुत प्यार से किसी बच्चे की तरह उसने कहा- यार बाहर जाकर क्या करेंगे और फिर भुवनेश्वर आना जाना तो अब लगा ही रहेगा.. फिर कभी घूम लेंगे और यार हम इतने दिनों बाद मिले हैं