कुछ ही समय में उन दोनो की शादी के रश्मों को खत्म कर दिया गया,,और जैसा की इशांक को सिर्फ शादी के पूरे होने तक ही मतलब था....वो उसे छोड़ कर मंडप से बाहर निकल आया,और विवेक जो काफी सालों से उसका असिस्टेंट था,उससे पंडित को बाहर तक छोड़ने को बोल खुद भी दरवाजे की ओर बढ़ गया....शादी के रस्मों के होने तक उसने किसी तरह अपनी मां रीमा और उनके दूसरे पति विक्रम मेहरा को बरदास्त किया था,जिन्हे उसने घर की दहलीज लांघने तक की इजाज़त ना दी थी,,लेकिन अब उन्हें अपने घर के आस पास देखने का उसका